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हर इफ्तार पार्टी राजनीतिक नहीं होती, देश के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही

हिंदुस्तान न्यूज़ हर इफ्तार पार्टी (Iftar Party) राजनीतिक नहीं होती कर्नाटक के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील दक्षिण कन्नड़ जिले में सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए एक नवविवाहित हिंदू युवक ने बंतवाल तालुका के सद्भाव के प्रतीक के रूप में उभरे हैं। चंद्रशेखर एक बोरवेल कंपनी में काम करते हैं। उनकी शादी इसी 24 अप्रैल को हुई थी। चूंकि मुस्लिम इन दिनों रोजे रख रहे हैं, इसलिए इस समुदाय के उनके कई दोस्त शादी की दावत का आनंद नहीं ले सके।

अतः अपनी शादी का जश्न मनाने के लिए उन्होंने एक मस्जिद में मुस्लिम दोस्तों के लिए इफ्तार पार्टी (Iftar Party) दी। इसमें उनके 100 से अधिक मुस्लिम दोस्तों, 30 हिंदू मित्रों और चार ईसाई दोस्तों ने शिरकत की। पंकज चतुर्वेदी

देश के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही

सामाजिक सौहार्द का उदाहरण आज जहां एक तरफ धार्मिक ध्रुवीकरण कर देश के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं गुजरात से एक ऐसी खबर आई है, जो इस नफरत भरे माहौल में सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है। असल में, गुजरात के दलवाना गांव में 1,200 साल पुराने वरंद वीर महाराज विट्टल में एक मस्जिद में इफ्तार पार्टी आयोजित के मंदिर के दरवाजे रोजा इफ्तार के लिए खोल दिए की।

रामनवमी और चंद्रशेखर इस इफ्तार पार्टी के जरिये सांप्रदायिक होली

प्रदेश में हिजाब, हलाल, अजान व मुसलमानों गए हैं। वाकई, धर्म हमेशा लोगों को जोड़ने का काम की दुकानों के बहिष्कार के आह्वान के बीच केजे करता है। यहां के सरपंच बताते हैं, रामनवमी और चंद्रशेखर इस इफ्तार पार्टी के जरिये सांप्रदायिक होली जैसे त्योहारों में गांव के मुसलमानों ने हमारी काफी मदद की है। हमने सोचा कि हम भी उनके लिए ऐसा ही कुछ करें, जिससे हमारा गांव देश भर के लिए भाईचारे की मिसाल बन जाए।

कहने की जरूरत नहीं कि मंदिर प्रबंधन और हिंदू बिरादरी के इस फैसले से के गांव के मुसलमान काफी खुश हैं। यहां मुस्लिमों की आबादी तकरीबन 15 फीसदी है, लेकिन 85 फीसदी हिंदुओं के साथ उनका भाईचारा ऐसा है कि नफरत की आग उसे जला नहीं पाती। रईस खान

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