Sardar Sarovar Project: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को नर्मदा नदी (Narmada river) पर सरदार सरोवर परियोजना (Sardar Sarovar Project) से प्रभावित परिवारों में से प्रत्येक के लिए 60 लाख रुपये के अंतिम मुआवजे के भुगतान का निर्देश देने वाले अपने 2017 के आदेश में संशोधन की मांग वाली एक याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि एक बार अंतिम निपटान पैकेज 60 लाख रुपये प्रति परिवार के रूप में निर्धारित किया गया है, इसमें संशोधन नहीं होगा क्योंकि यह इस अदालत के आदेश की एक वास्तविक समीक्षा होगी।
वकील ने कहा, वास्तविक मुआवजा 1.28 करोड़ रुपये
अधिवक्ता संजय पारिख ने एक विस्थापित की ओर से दलीलें आगे बढ़ाते हुए कहा कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण की मदों में आवेदक का हक 4.293 हेक्टेयर भूमि का होना चाहिए था। पारिख ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश को ठीक से पढ़ने से पता चलता है कि मुआवजा 30 लाख प्रति हेक्टेयर आंका जाएगा और वास्तविक मुआवजा 1.28 करोड़ रुपये होगा।
60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 2017 का आदेश अनुच्छेद 142 के तहत पारित किया गया था और एक संशोधन या स्पष्टीकरण आदेश पारित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अदालत के फैसले की एक वास्तविक समीक्षा होगी। शीर्ष अदालत ने 8 फरवरी, 2017 को मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) के प्रत्येक विस्थापित परिवार के लिए 60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।
एक महीने के भीतर जमीन खाली कर देंगे।
ऐसे 681 परिवारों की शिकायतों को दूर करने के लिए कई दिशा-निर्देश पारित करते हुए, शीर्ष अदालत ने दो हेक्टेयर भूमि के लिए प्रति परिवार 60 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, और वचन लिया गया था कि वे एक महीने के भीतर जमीन खाली कर देंगे। ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों को उन्हें जबरन बेदखल करने का अधिकार होगा। इससे पहले नर्मदा बचाओ आंदोलन ने शीर्ष अदालत को बताया था कि अकेले मध्य प्रदेश में 192 गांव और एक बस्ती प्रभावित होगी और लगभग 45,000 प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जाना बाकी है। एनबीए ने कहा था कि हजारों आदिवासियों और किसानों सहित सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापित कई वर्षों से भूमि आधारित पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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